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      मैं एक अजीब कुत्ते का मालिक हूँ

            Stammer dog को पालतू बनाइए।

मैं एक अजीब कुत्ते का मालिक हूँ।  कुत्ते का नाम हैं stammer dog। मालिक कहना शायद गलत हैं, क्योंकि जब मैं छोटा था तो यह कुत्ता मुझ पर थोपा गया था।  


 

यह कुत्ता हमेंशा मेरे साथ एक चिपकुकी तरह फिरता रहता था;  खासकर, जब भी मैं दुनियाके और लोगोंसे मिलने जाऊँ।  शायद वो मेरी बराबरी करना चाहता था -- जब भी मैं बोलने जाऊं, वो भौंकना चालु कर देता। शर्म के मारे मैं जमीन में गर जाता।  मैं उसे चुप करने को कहता तो वह चुप होने का ढोंग करता; किंतु मेरे अगले शब्द शुरू करने पर वह फिर से भौंकना चालु कर देता।  सुननेवाले तंग आ जाते और उनके reactions देख कर मैं भी शर्म के दलदल में और भी फंसता जाता।  मैं खुद को, औरों को, और ज़िन्दगी को कोसता। अपनी यह हालत पर मुझे तरस आता और प्रार्थना करता कि कैसे भी करके इस stammer dog को मेरी जिंदगी से हटा दो।  


 

यदि आप ऐसे stammer dog के मालिक है तो आपके लिए दो महत्वपूर्ण खबर हैं -- एक बूरी और एक अच्छी।  बूरी खबर: यह कुत्ता हमारा जीवनभर का साथी है।  अच्छी खबर: हर एक stammerer इस कुत्ते को पालतू बना सकता है।  पालतू बनाने का अर्थ यह हुआ कि stammer dog हमारे जीवन विकास में अवरोध लाना बंध कर दे।   सालों तक मैं गलत उद्देश्य के पीछे भागता रहा:  यह कुत्ते को मेरी जिंदगी से हटा देना।  जब से मैंने उसको पालतू बनाने के लक्ष्य पर ध्यान देना शुरू किया है, ज़िन्दगी सरल सी हो गयी है।  मेरा अनुभव मैं आपके साथ बाँटना चाहूंगा।  


 

Stammer dog शांत रहने के काबिल, चिंतारहित अभ्यास कि आवश्यकता  

  • जब मैं किसीके बारें में सोचे बगैर, अकेलेमें, सिर्फ अपने आप से बात करता हूँ तो stammer dogनहीं भौंकता।  मुहँ, जीभ, फेफड़े, इत्यादि बड़ी आसानी से एक दूसरे का साथ देकर फ़्लूएंट आवाज़ बनाते हैं। इससे यह साबित होता हैं कि उनमें कोई खामी या रुकावट नहीं है।  

  • इस कुत्ते में भौकने की ताकत कहाँसे  आती हैं ? उसे मैं ही भौंकनेवाला खाना देता हूँ।  ग्लानि भवित हो कर मैं खुद को और औरों को कोसता रहता हूँ।  
    मैंने उसे सात्विक आहार देना शुरू किया।  जैसा भी है, वो मेरा कुत्ता है।  जिस तरह भी हूँ, मैं ठीक ही हूँ।  उसका अस्तित्व मैंने स्वीकार कर लिया तो उसमें बड़ा बदलाव आ गया, उसका भौंकना धीरे धीरे कम होता गया।  

  • यह कुत्ता भौंकना बंध भी करना चाहे तो कैसे करें, मुझे  उसकी आदत जो हो गयी है।  किसी भी आदत से छुटकारा पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।  कुछ techniques के लगातार अभ्यास से मुझे बहुत फायदा हुआ:

    • तिन साल के बच्चें को कहानी सुनाते हो ऐसे मुंह खोलकर, हर एक शब्द को लम्बाकार उच्चार करना।  (prolongation with clear enunciation, story telling mode)

    • जो भी शब्द या अक्षर से डर लगता है -- उसको अलग अलग परिस्थिति में मनपसंद technique इस्तेमाल करके दोहराना।  डर  से मुक्त होना है।  

    • मनपसंद समाधी द्वारा मन और दिमाग को शांत करना।  कुत्ता भी शांत हो जाता हैं।  

यह अभ्यास सहभागियों के साथ करने से ज्यादा लाभ हुआ, motivation भी बना रहता था।  


 

प्रभावी संचार पर ध्यान, प्रेक्षको प्रति सहानुभूति

  • मैंने कमसे कम पांच स्पीच थेरेपी ली (ऊपर बतायी गयी techniques से फायदा हुआ। ) उनमें से कुछ थेरेपी ऐसी थी कि बोलते समय मेरा ध्यान stammer dog के बजाय किसी और चीज़ पर लगा दे।  जब तक दिमाग को बेवकूफ बना सके, परिणाम आया; उसके बाद फिर वहीँ के वहीँ।  दिमाग का ध्यान कहीं लगाना ही है तो क्यों न उसे प्रभावी संचार पर जमाये रखें ?

  • व्यक्तिगत तौर पर मुझे इस दुनिया के लोगों को बहुत कुछ कहना है।  जब मैं लिखता हूँ तो ध्यान देकर बड़ा प्रयास करता हूँ कि पढनेवालों को मेरी बात संपूर्ण रूप से समज में आए।  बोलते वक्त भी मुझे यही बात पर जोर देना है।  

    • शब्द या वाक्य अदल-बदल कर मैं क्यूँ अपने प्रभावी संचार प्रयास को व्यर्थ जाने दूँ ?  

    • मेरी पूरी कौशिष रही है कि मैं सामनेवालों से आँख मिलाकर बात करूँ।  

  • थोड़े बहुत सुननेवाले मुझ पर हसतें है तो भले हँसे।  उन पर ध्यान देकर मैं औरों को कैसे नज़र अन्दाज़ कर सकता हूँ जो मुझे ठीक तरह से सुनना और समझना चाहते हैं?

    • सुननेवालों को मेरे secondary symptoms देखकर दुःख होता हैं और मेरी बात समझने में तकलीफ होती हैं।  मुझे भी उनसे कोई फ़ायदा नहीं होता।  अभ्यास कर मैं उन्हें हटाने कि कोशिष  करता हूँ।

    • बोलने से पहलें या बोलते समय block हो जाता हूँ तो, अपना अहम् छोड़कर, अपने प्रेक्षकों कि सुविधा ध्यान में रखते हुए, मेरी आजमायी हुई  techniques इस्तेमाल करके मेरी बात जारी रखता हूँ।  कभी ज्यादा रुकावट हो गई तो -- रुक के लंबी सांस ले लेता हूँ, जरा सा हँस देता हूँ, या सॉरी कहके अपना बोज़ हलका कर देता हूँ -- और सब कुछ भूल कर नए सिरे से शुरुआत करता हूँ।  ज्यादा तर प्रेक्षक इसे समझ सकते हैं और मन ही मन मेरी दाद देतें हैं।  

  • अपने मन की  बात पूर्ण रूप से समझा सकने पर एक आनंद सा आता हैं।  उसके सामने बाकी सब गौण लगने लगता हैं।  

  हकलाहट बनाम नई भाषा सीखना

  

1. जिस प्रकार हम अंग्रेजी या कोई नईभाषा बोलना सीखते समय ढेरोंगलतियां करते हैं, उसी तरह हकलाहटपर कार्य करते समय भी गलतियांहोना, बार-बार हकलाना स्वाभाविक है।आप अपने घर में कमरे के अन्दरबैठकर धाराप्रवाह बोलना नहीं सीखसकते हैं। आपको बाहर निकलना होगाबार-बार हकलाने के लिए, बार-बारगलतियां करने के लिए।
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2. नई भाषा हम तभी सीख सकते हैं जब अपने दैनिक जीवन में, कार्यालय में, कॉलेज में और परिवार में बार-बार उसका इस्तेमाल करें। ठीक इसी तरह जब आप हकलाहट पर काम करना शुरू करेंगे तो सभी जगहहकलाहट के बारे में खुलकर बातचीत करना, स्पीच तकनीक का अभ्यास करना, 

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4. नई भाषा सीखते सम जब आप किसी शब्द को गलत बोलते है, तो उसका सही अर्थ जानना और सही उच्चारण करने की कोषिष करते हैं। इसी तरह जब आप किसी शब्द पर हकलाते हैं, तो बार-बार उस शब्द का सही उच्चारण करने की कोषिष करते हैं, कोई स्पीच तकनीक का प्रयोग कर उच्चारण करते हैं।

-------------------------------------------------------------------------5. नई भाषा सीख सीखने के दौरान जब हम एक-दो शब्द या वाक्य सही बोलते हैं, तो अन्दर से बड़ा सुकून मिलता है, आनन्द आता है। उसी तरह हकलाहट पर वर्क करते समय जब आप किसी शब्द या वाक्य को सही तरीके से बोल पाएं तो उसकी खुषी मनानी चाहिए, सुख का अहसास होना चाहिए

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6. अंग्रेजी या नई से बातचीत करने की सलाह दी जाती है। ठीक यही बात हकलाहट पर भी लागू होती है। हकलाहट के डर से आजाद होने के लिए अनजान लोगों से लगातार बातचीत करने की कोषिष करते रहना आवष्यक है। तभी आप हकलाहट के डर से आजाद हो पाएंगे।

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7. नई भाषा में प्रभावी संचार के लिए अपने चेहरे के हाव-भाव, आई कान्टेक्ट, हाथेलियां और पैर के सही भाषा के
 प्रति झिझक खत्म करने के लिए हमेषा अनजान लोगों संचालन पर ध्यान देने की बात कही जाती है, यही सब बातें हकलाहट पर भी लागू होती हैं। एक बेहतर संचार के लिए इनबातों पर गहराई से ध्यान देना सभी के लिए जरूरी है। 

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8. नई भाषा आप अपने जीवन में विकास के लिए, सफलता अर्जित करने के लिए, ज्ञान प्राप्त करने के लिए, अधिक से अधिक लोगों बातचीत करने के लिए सीखते हैं। ठीक इसी तरह हकलाहट पर वर्क आप इसीलिए करते हैं, ताकि एक कुषल संचारकर्ता बन सकें

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पते की बात : आप यह सोचना छोड़ की हकलाने पर लोग क्या कहेंगे? महत्वपूर्ण बात तो यह है की खुद के प्रति समर्पित होकर हकलाहट के लिए वर्क करना कब शुरू करेंगे? कब तक इंतजार करते रहेंगे? कब तक तारीख पर तारीख आती रहेगी और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? सच तो यह है कि हकलाहट पर कार्य करने के लिए किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं है, आप तुरंत षुरू कर दें, मुष्किलों का सामना करें और आगे बढ़ें।

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